नई दिल्ली। 83 दिनों से लगातार अपने हक की लड़ाई लड़ रहे पूर्व सैनिकों को आखिरकार वो हक मिल ही गया। शनिवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रें स करते हुए वन रैंक वन पेंशन का एलान कर दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए रक्षा मंत्री बोले, 'भारत सरकार हमारे सैनिकों का सम्मान करती है। वन रैंक वन पेंशन का मामला पिछले 4 दशक से लंबित है। प्रधानमंत्री ने इस मामले में अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। हमने अपना वादा पूरा किया।'
उन्होंने आगे कहा कि 'इसे लागू करने के बाद सरकार पर 8-10 करोड़ का अतिरिक्त खर्च आएगा। सरकार ने इसे लागू करने का फैसला किया है। इसके अनुसार
- वन रैंक वन पेंशन 1 जुलाई 2014 से लागू होगा।
- समान कार्यकाल, समान पद पर समान पेंशन
- पूर्व सैनिकों को 4 छमाही किश्तों में एरियर का पैसा दिया जाएगा।
- पेंशन का संशोधन 5 साल में किया जाएगा।
- सैनिकों की विधवाओं को एकमुश्त एरियर दिया जाएगा।
- कोई सैनिक अगर स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेता है तो वो वन रैंक वन पेंशन का लाभ नहीं ले पाएगा।
- वन रैंक वन पेंशन पर 1 सदस्यों वाली न्याय कमेटी बनेगी।
पूर्व सैनिकों ने किया रिजेक्ट
रक्षा मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक बाद पूर्व सैनिकों ने प्रेस कॉन्फ्रें स करते हुए कहा कि सरकार ने वन रैंक वन पेंशन लागू किया जिससे हम संतुष्टं हैं लेकिन इसके अलावा सरकार ने हमारी कोई मांग नहीं मानी है। पूर्व सैनिकों की तरफ से बात करते हुए कर्नल सतबीर सिंह ने कहा कि हमारी मांगों के जितने पॉइंट थे उनमें से सरकार ने केवल एक माना है और बाकि 6 नहीं माने और इसलिए हम इसे तरह के वन रैंक वन पेंशन को रिजेक्ट करते हैं।
उन्होंैने रक्षा मंत्री द्वारा बोले गए बिंदुओं को लेकर एक के बाद एक अपनी बात रखते हुए कहा कि, सरकार ने पहले यह पेंशन 1 अप्रैल से लागू करने का कहा था। वहीं स्वैाच्छिक रिटायरमेंट को वन रैंक वन पेंशन नहीं मिलती है तो यह हमारे लिए बड़ा झटका है क्यों कि ज्याेदातर सैनिक वक्तह से पहले स्वैेच्छिक रिटायरमेंट लेते हैं ऐसे में उनका नुकसान होगा।' एक सदस्यह वाली कमेटी पर उन्हों ने कहा कि हमने पांच लोगों की कमेटी की मांग की थी जिसमें तीन सदस्य पूर्व सैनिक हों और यह कमेटी रक्षा मंत्री के अंडर काम करे।
पेंशन में संशोधन 5 साल में करने को लेकर उन्होंधने कहा कि हमारी मांग एक साल की थी लेकिन सरकार ने 5 साल का प्रस्तामव दिया है। हम इससे असमत हैं। उन्होंैने कहा कि सरकार ने मोटे तौर पर वन रैंक वन पेंशन को माना है। हम इससे संतुष्टक नहीं है और सरकार से कई मुद्दों पर स्पसष्टीदकरण मांगेंगे।
इसके अलावा उन्होंदने एवरेज पेंशन को लेकर भी विरोध जताया, पूर्व सैनिकों की मांग थी की पे स्कैपल सबसे उपर का हो। इसके बाद असंतुष्ट पूर्व सैनिकों का धरना अब भी जारी है और शाम तक भूख हड़ताल को लेकर निर्णय लेंगे।
इससे पहले रक्षा मंत्री ने सुबह पूर्व सैनिकों से मुलाकात की थी जिसके बाद पूर्व सैनिकों ने कहा था कि सरकार ने उनकी मांगे मान ली हैं। उसके ठीक बाद भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने भी इस और इशारा करते हुए कहा था कि कि मोदी ने अपना वादा पूरा किया और जश्न तो मनाया जाएगा।
सभी को खुश करना संभव नहीं : रक्षा राज्यकमंत्री
पूर्व सैनिकों के वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे पर पूरी तरह संतुष्ट न होने के बीच रक्षा राज्यंमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि सरकार के लिए सभी को खुश करना संभव नहीं है। उधर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले में जो भी कमी रह गई है, उसे दूर किया जाएगा।
सात मांगे, जिन पर था विवाद, सरकार ने मानी सिर्फ एक
'वन रैंक वन पेंशन' से जुड़े सात बिंदुओं पर विवाद था। पूर्व सैनिकों का आरोप है कि सरकार ने सात में से महज छह मांगों को माना, शेष पर हम संतुष्ट नहीं हैं। एक नजर सातों बिंदुओं पर सरकार का फैसला और पूर्व सैनिकों की प्रतिक्रिया -
1. 1 जुलाई 2014 से लागू होगी व्यवस्था (पूर्व सैनिक संतुष्ट)
2. 5 साल में होगी समीक्षा (पूर्व सैनिक हर दो साल में समीक्षा की मांग पर अड़े यानी सरकार का यह प्रस्ताव खारिज)
3. वीआरएस लेने वालों को लाभ नहीं (पूर्व सैनिकों ने सरकार की यह बात पूरी तरह खारिज की। उनकी दलील है कि 46 फीसदी जवान प्री-मैच्योरर रिटायरमेंट ले लेते हैं।)
4. एक सदस्यीय कमेटी बनेगी (एक सदस्यीय नहीं, पांच सदस्यीय कमेटी हो )
5. कमेटी में पूर्व जज होंगे (प्रस्ताव नामंजूर। कमेटी में 3 पूर्व और 1 वर्तमान सैनिक हो। एक अन्य सदस्य रक्षा मंत्री, जिसे चाहें बनाएं।)
6. कमेटी का कार्यकाल छह माह रहेगा (प्रस्ताव नामंजूर। पूर्व सैनिकों की मांग 30 दिन ही कार्यकाल रहे)
7. न्यूनतम और अधिकतम पेंशन का औसत निकालकर ग्रेड किया जाएगा। (पूर्व सैनिकों का कहना है कि अधिकतम पेंशन दी जाए)
विधवाओं और युवा सैनिकों को होगा फायदा
'वन रैंक वन पेंशन' पर सरकार की मंजूरी के बाद भी भले ही दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिक पूरी तरह संतुष्ट न हो, लेकिन जानकारोंं का मानना है कि इससे विधवाओं और कम उम्र में रिटायर होने वाले जवानों को बड़ा आर्थिक लाभ होगा।
एक चैनल से चर्चा में रिटायर कर्नल वीके थापर ने कहा, पूर्व सैनिकों को खुश होना चाहिए। सरकार ने उनकी अधिकांश मांगे मान ली हैं। दो-तीन बिंदुओं पर तकनीकी पेंच हैं, जिन्हें आने वाले वक्त में दूर कर लिया जाएगा।
एक अन्य पूर्व सैनिक ने चंडीगढ़ में कहा कि कई बार घायल होने या अन्य कारणों से सैनिकों को कम उम्र में रिटायर होना पड़ता है। नई व्यवस्था से उन्हें अच्छी पेंशन मिलेगी।
कब क्या हुआ : सितंबर 2009 से तेज हुई थी 'वन रैंक वन पेंशन' की जंग
• 1973 तक सेना में वन रैंक वन पेंशन थी। उन्हें आम लोगों से ज्यादा वेतन मिलता था।
• 1973 में आए तीसरे वेतन आयोग ने सशस्त्र बलों का वेतन आम लोगों के बराबर कर दिया।
• सितंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वन रैंक वन पेंशन पर आगे बढ़ने का आदेश दिया।
• मई 2010 में सेना पर बनी स्थाई समिति ने वन रैंक वन पेंशन लागू करने की सिफारिश की।
• सितंबर 2013 - बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने प्रचार के दौरान वन रैंक वन पेंशन लागू करने का वादा किया।
• फरवरी 2014 - यूपीए सरकार ने इसे लागू करने का फैसला किया और 500 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया।
• जुलाई 2014 - मोदी सरकार ने बजट में वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा उठाया और इसके लिए अलग से 1000 करोड़ रुपए रखने की बात की।
• फरवरी 2015 - सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के अंदर वन रैंक वन पेंशन लागू करने को कहा।
• 17 अगस्त 2015 - पूर्व सैनिकों ने जंतर-मंतर पर अनशन शुरू किया।
• 24 अगस्त 2015 - भूख हड़ताल पर बैठे कर्नल पुष्पें द्र सिंह की हालत बिगड़ी।
• 25 अगस्त 2015 - प्रधानमंत्री से मिले रक्षा मंत्री मंत्री।
• 03 सितंबर 2015 - सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच चर्चा। दोनों पक्ष थोड़े नरम पड़े।
(विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा संकलित)
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